दोहे
विविध
सुबह-सुबह यमराज जी, पहुँचे शनि के द्वार।
हाथ जोड़ कहने लगे, सुनिए प्रभु पुकार।।
प्यार बाँटते ही रहो, कुंठा रखकर दूर।
खुशियाँ पाने के लिए, मुस्काओ भरपूर।।
खुशियाँ तुमको नित्य ही, मिलें बार ही बार।
यही कामना मैं करुँ, सँग में प्यार दुलार।।
भ्रम का करो इलाज अब, कहना मानो आप।
कहीं कोढ़ में खाज ये, बने नहीं कल छाप।।
मैं तो उनके पास था, वो ही मुझसे दूर।
नहीं समझ आया मुझे, क्यों इतने मगरूर।।
कैसा आया है समय, बढ़ा स्वार्थ का रोग।
विपदा सचमुच है बड़ी, या केवल संजोग।।
रिश्ते भी देने लगे, अब मानव को ज्ञान।
अपने ही अब लें रहे, अपनों की ही जान।।
चंदन
माथे चंदन टीकते, कहते जय श्री राम।
ओढ़ शेर की खाल को, बना रहै निज काम।।
चंदन अपनी प्रकृति से, करता सद्व्यवहार।
शीतलता छोड़े नहीं, चाहे जस हो आधार।।
चंदन हमको दे रहा, सदा एक ही ज्ञान।
अपने गुण के साथ ही, सदा मिलेगा मान।।
चंदन टीका माथ पर, देता पावन भाव।
शांत हृदय अरु सौम्यता, करता नहीं दुराव।।
महाकुंभ
महाकुंभ में हो रहा, नित-नित पावन स्नान।
हर डुबकी के साथ ही, सत्य सनातन ध्यान।।
अमृत भाव मन में लिए, विविध रंग का वेष।
जीवन का सबसे बड़ा, माने समय विशेष।।
जिसने डुबकी ली लगा, माने खुद को धन्य।
सिवा पाप की मुक्ति के, बोध नहीं कुछ अन्य।।
संगम तीरे जो गये, उनके हैं बड़ भाग्य।
जाने कितनों ने किया, सांसारिक सुख त्याज्य।।
महाकुंभ में दिख रहा, चहुँदिश बहुरंगी रंग।
कुंठा जिनके मन हृदय, वे सारे बदरंग।।
बंधन
अब अपने मां बाप भी, बंधन लगते आज।
वृद्धाश्रम के द्वार पर, फेंक रहे हम ताज।।
बंधन बाधा पार कर, जाना है उस पार।
पालन करना है नियम, तब होगा उद्धार।।
जपते नित हम हरीहर, करते पूजा पाठ।
उम्र साठ के पार अब, मत कहना तुम काठ।।
करते क्यों हो ना- नुकुर, बढ़े बहुत हैं भाव।
कितने हो तुम नासमझ, नहीं दीखता घाव।।
उम्र का बंधन तोड़कर, करते सीमा पार।
ऐसा होता आजकल, प्यार बना व्यापार।।
सुंदर
सुंदर यह संसार है, जब पावन आधार।
वरना भाता है किसे, खशियाँ रहें अपार।।
तन सुंदर है आपका, मत करिए अभिमान।
मन सुंदर जिसका रहे, आता वो पहचान।।
महाकुंभ का देखिए, अद्भुत अनुपम चित्र।
कुछ को सुंदर चित्र भी, कुंठित करता मित्र।।
हमें बनाना चाहिए, सुंदर सी पहचान।
तभी मिलेगा मानिए, सचमुच का ही मान।।
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वीर-जवान
वीर जवानों का करें, हम सब भी सम्मान।
जिनके काँधो पर टिका, आन देश की जान।।
सरहद की रक्षा करें, अपने वीर जवान।
रहता है उनको सदा, निज सीमा का ध्यान।।
अपने वीर जवान भी, हम सब का परिवार।
जो हमको देते सदा, खुशियों का आधार।।
सीमा पर तैनात हैं, अपने वीर जवान।
होठों पर रहता सदा, मोहक सी मुस्कान।।
जय- जवान
जय जवान उद्घोष का, गूँज रहा जय घोष।
नहीं किसी से द्वेष है, बस दुश्मन से रोष।।
आँधी या तूफान हों, अड़ते वीर जवान।
जय जवान सुन गर्जना, काँप रहे हैवान।।
काँप रहे हैं शत्रु भी, सुन भारत का नाम।।
सिंहों सम उनको लगे, जय जवान का काम।।
सीमा पर तैनात हैं, अपने वीर जवान।
होठों पर रहता सदा, मोहक सी मुस्कान।।
बलिदान
प्राणों का बलिदान दें, मातृभूमि के नाम।
इससे पावन क्या भला, बड़ा बहुत है काम।।
कटा उँगलियां लोग भी, बन जाते हैं वीर।
बलिदानों के दर्द का, कहाँ समझते पीर।।
रक्षक अपने देश के, हँसकर देते जान।
सीख हमें भी दे रहे, होता क्या बलिदान।।
विविध रुप बलिदान का, जान रहे कुछ लोग।
कुछ लोभी हैं राष्ट्र में, सुख ही जिनका भोग।।
नेताजी की मृत्यु का, भेद जानता कौन।
सच का कैसे हो पता, सब साधे हैं मौन।।
जलियाँवाला बाग
जलियाँवाला बाग की, धरा आज भी लाल।
जाने कितने थे गए, समय काल के गाल।।
जनरल डायर ने किया, बड़ा घिनौना काम।
पापी इतना था बड़ा, गाली जैसा नाम।।
जेहन अब तक कौंधता, जलियाँवाला बाग।
कटे जहाँ पर लोग थे, जैसे मूली साग।।
वैशाखी के पर्व पर, खेला खूनी खेल।
जलियाँवाला बाग का, ये कैसा है मेल।।
जलियाँवाला बाग को, कैसे भूलें लोग।
जनरल डायर ने जिसे, बना दिया दुर्योग।
गणतंत्र
संविधान लागू हुआ, कहता है गणतंत्र।
लोकतंत्र के मूल में, सबसे उत्तम मंत्र।।
संविधान की आड़ में, गणतंत्री उपहास।
शपथ लिए कुछ लोग ही, बने सूत्र हैं खास।।
संविधान को हाथ ले, घूम रहे कुछ लोग।
कुंठित हैं वे लोग या, महज एक संयोग।।
भारत का गौरव बना, दिवस आज है खास।
जनता रखती है सदा, संविधान से आस।।
देश मनाता आज है, खास दिवस का पर्व।
ऊँच- नीच, छोटा- बड़ा, करता इस पर गर्व।।
आजादी जब आ गई, तब गण का भी मान।
संविधान ने भी किया, जन मन का तब गान।।
मतदाता दिवस
मत के दाता दे रहे, नेता को आधार।
बदले में वे पा रहे, कल के लिए उधार।।
मत का अपने मत करो, तुम सब अपना दान।
सोच समझ कर तुम सभी, करना जितना ज्ञान।।
बुद्धि विवेक से हीन जो×, बिकते हैं कुछ लोग।
और सभी हैं भोगते, पांच वर्ष का रोग।।×
समय आज फिर आ गया, करने को मतदान।
सोच समझ कर कीजिए, मत बनिए अज्ञान।।
चर्चा परिचर्चा बिना, यदि दोगे तुम वोट।
पछताओगे आप कल, खाओगे जब चोट।।
वोट शक्ति को जानिए, समझें आप महत्व।
इसके पीछे है छिपा, सुख सुविधा का तत्व।।
भारत देश
अपना भारत देश है, सुंदर और महान।
भारत वासी मानते, इसको अपनी जान।।
सर्व-धर्म समभाव का, देता है संदेश।
भाईचारा है यहांँ, निज पावन परिवेश।।
शांति भाव तो नीति है, मत जानो कमजोर।
कोशिश करके देख लो, सब मिलकर पुरजोर।।
बदल गया अब देश है, दुनिया भी ले जान।
स्वाभिमान सम्मान ही, भारत का यशगान।।
दुश्मन जैसा चाहता, दे जवाब अब देश।
गिरह बाँध लो दुश्मनों, हो चाहे जैसा वेश।।