गीत/नवगीत

प्रतिक्रिया

जरूरी नही है , कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया, व्यक्त, करी ही जाए।।

क्यों न कभी कभी,चुप रहकर भी
सम्बन्धों की, दरारें, भरी जाएं
न कि, बहस में, शामिल होकर
दुश्वारियां नयी, खड़ी की जाएं ।

जरूरी नही है, कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया व्यक्त, करी ही जाए ।।

चार बर्तन हैं , तो थोड़ी, खटपट
होना एकदम, निरापद है
सबकी, अपनी-अपनी , सोच है
सबका, अपना-अपना, कद है

मन मुटाव से, बचकर रहें, हम
बस इतनी ,समझदारी,भरी जाए।
जरूरी नही है, कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया, व्यक्त, करी ही जाए।।

जब माहौल, कुछ ज्यादा, गर्म हो
तो शांति का , परिचय, देना उत्तम
जब तक,अत्यंत,आवश्यक, न हो
रखें थोड़ा, ख़ुद पर, संयम

सुनें ज्यादा, और बोलें कम
छोटी सी सीख, मन में, धरी जाए
जरूरी नही है, कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया, व्यक्त, करी ही जाए।।

बहुत सी, उलझनों, का जबाब
समय के साथ, मिल जाता है
स्थायी, तो यहां, कुछ भी, नही है
एक क्षण, मे सब , बदल, जाता है

तत्काल ही सब, निपट जाए
यह धारणा क्यों, मन में धरी जाए
जरूरी नही है, कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया, व्यक्त, करी ही जाए।।

किसी न, किसी को,आगे बढकर
बड़ा दिल, दिखलाना, पड़ेगा ही
हैं, छोटे-छोटे, परिवार,आज कल
अड़ियल पन , काम, करेगा नही

झुकने से , काम बनता, हो तो
जिम्मेदारी क्यों न, वरण की जाए
जरूरी नही है, कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया, व्यक्त, करी ही जाए।।

जरूरी नही है, कि हर, बात पर
प्रतिक्रिया, व्यक्त,करी ही जाए।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई

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