कविता

हाईकु

मिलके रोके
भ्रष्टाचार की हम
करे सफाई

***
कन्या बचाना
है बहुत जरुरी
विश्व कल्याण

***
कठिन होता
जिंदगी का सफर
बिन दोस्तों के

***
प्रभू शरण
ही सार्थक करनी
बाकी है व्यर्थ

***
समय खड़ा
अपने दम पर
हम लाचार

***
मजबूरी को
बेबाक अफसाना
दुनिया कहे

***
सदा स्मरण
बचपन की यादे
बेखौफ जीना

***
राष्ट्रभाषा में
गौरव है हमारा
नतमस्तक

***
न छूटे साथ
शब्दो के संगम का
हाईकु बने

***
साथ अपने
बढता है हौसला
हिम्मत मिले

***
दौर आज का
अपनापन खाली
दिखावा खूब

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]

One thought on “हाईकु

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी हाइकु !

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