कविता

“पुल”

“पुल”

तुम कहते तो मै वहीं और रुक जाता
प्यार के सागर मे गहरे तक डूब जाता

रेल चली तो रफ़्तार से चलती ही गयी
मन ने सोचा काश मैं वही छूट जाता

जब जब लंबी लंबी सुरंग आती गयी
खुद से कहा उससे मैं कैसे रुठ जाता

करीब आ गया जब मेरा अपना शहर
लौटती पटरियों संग मै कैसे घूम जाता

अब अजनबी लगती है यहाँ की सड़के
आशिक हूँ ,यदि पुल होता तो टूट ज़ाता

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on ““पुल”

Comments are closed.