कविता दो हाइकु मनीष मिश्रा मणि 09/10/2014 धरा निहाल शरद की पूनम अमृतधारा खिली रश्मियां पावन निशा धरा शरद पूनम
वाह! वाह!! कम शब्दों में अधिक कथ्य .
शुक्रिया विजय कुमार सिंघल जी ..उत्साहवर्धन के लिए..