वो मेरे रूह…
वो मेरे रूह समेत हो गये
दो दिल आज एक हो गये
आँखों ने आँखों को पढा
अब इरादे भी नेक हो गये
वो बर्फ से नदी बन गयी
हम पहाड़ से रेत हो गये
वो कविता , मैं काव्य हूँ
रेखांकित उल्लेख हो गये
एक दूजे की आँखों मे हैं
आँखों के उन्मेष हो गये
किशोर कुमार खोरेंद्र
वाह , पियार हो तो ऐसा .
वाह वाह !
shukriya vijay ji