सत्य
सत्य जो है सत्य रहेगा,
सरल और स्पष्ट रहेगा,
बात इतनी कि कौन क्या सोचता है,
किन बातोँ को किसका मन टकोचता है,
विकट या प्रकट, अटल या अमिट,
सत्य सत्य है,
ना केवल तथ्य है,
टूटता कुछ टूट जाए,
रुठता तो रुठ जाए,
मुख ना मोडूंगा,
मनाने किसी को सत्य ना छोडूँगा,
अविरल गति से बहता रहेगा,
सत्य सबसे कहता रहेगा,
भीरु नहीँ निर्भय करेगा,
सत्य नहीँ कभी विलय करेगा,
सत्य शुद्ध है पवित्र है प्रकाश है,
झूठ हार है, सत्य जीतने वाले की आस है,
सत्य भ्रम नहीँ ना कल्पना है,
सत्य प्राण है प्राणोँ की वंदना है।।
<<सौरभ कुमार>>
सत्य का अच्छा वर्णन ….सुंदर रचना
बहुत खूब !