गीतिका/ग़ज़ल

मेरा फ़ैसला है, है अपनी जगह

भला है बुरा है, है अपनी जगह
मेरा फ़ैसला है, है अपनी जगह

ज़माना भले बेवफ़ा हो मगर
अभी भी वफ़ा है, है अपनी जगह

नहीं प्यार कुछ भी सिवा प्यार के
तेरा सोचना है, है अपनी जगह

नज़ारे हसीं लाख दुनिया के हों
सनम की अदा है, है अपनी जगह

मुलाकातें उनसे हुईं तो बहुत
मगर फ़ासला है, है अपनी जगह

रहे कोशिशें दोस्ती की सदा
ये शिकवा-गिला है, है अपनी जगह

है ऐसा या वैसा या जैसा ‘नदीश’
वो सबसे जुदा है, है अपनी जगह

©® लोकेश नदीश

2 thoughts on “मेरा फ़ैसला है, है अपनी जगह

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    इस ग़ज़ल को गाने पर मज़ा दुगना हो जाएगा.

  • रमेश कुमार सिंह

    वो सबसे जुदा है, है अपनी जगह वाह क्या बात है।

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