उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 31)
28. अपवित्र उद्देश्य
राजकुमारी देवलदेवी को अपने हरम में लाने के लिए कामुक सुल्तान ने नायब मलिक काफूर और अजिरे मुमालिक हाजी ख्वाजा को एक अजीम लश्कर की कमान सौंपकर दक्खन की जानिब रवाना किया। उसने एक खत गुजरात के सूबेदार अल्प खाँ को भी लिखा। जिसमें उसने अल्प खाँ को मलिक काफूर की मदद करने का हुक्म दिया।
काफूर तीव्र गति से देवगिरी की तरफ बढ़ा। उसके लश्कर के घुड़सवारों की टापों से इतनी धूल उड़ती कि कभी-कभी घनघोर दोपहर में भी रात का अंदेशा हो जाता। यूँ काफूर एक लाख से भी ज्यादा तलवारबाज लेकर पलक झपकते दक्खन की सरहद पर पहुँच गया।
सुल्तान का हुक्म मिलते ही गुजरात का गर्वनर अल्प खाँ सोलह हजार घुड़सवार लेकर देवगिरी की जानिब लपका, और वह काफूर से पहले ही वहाँ पहुँच गया।
इस मुस्लिम सेना का उद्देश्य दक्खन में इस्लाम का परचम बुलंद करना, बुतपरस्ती का नाश करने और बलात्कार के लिए युवतियों को पकड़ना था। दुर्भाग्य से इस दानवी सेना का संचालन वह कर रहा था जो अपने पूर्व जीवन में हिंदू रह चुका था।
बढ़िया..!