तेरे इश्क़ में….
तेरे इश्क़ में हसरत ए परवाज अभी बाकी है
गमे हिज्र में हूँ ,वस्ल का आगाज़ अभी बाकी है
तेरी ख़ामोशी ने जो कहा उसे मैंने सुन लिया है
मेरे सीने में दफ़न वो एक राज अभी बाकी है
मेरे बिना न तुम रह सकते हो न तेरे बिना मैं
मेरे ख्याल में तेरे जीने का अंदाज़ अभी बाकी है
अभी तक निगाहों से निगाहें ही टकराई हैं बस
दोनों की रूह के निकाह का रिवाज़ अभी बाकी है
तन्हाई में तुझे ही याद करके तो मैं जी रहा हूँ
विसाल का तेरा असहनीय लिहाज़ अभी बाकी है
ख़्वाब में अक्सर यूँ तो हम दोनों रोज मिलते हैं
रूबरू होने पर सिलसिला ए नियाज़ अभी बाकी है
किशोर कुमार खोरेन्द्र
{हसरत ए परवाज़ = उड़ने की अभिलाषा ,आगाज़ =प्रारंभ
अंदाज़ =ढंग ,विसाल =दो प्रेमियों का मिलन
लिहाज -लाज ,संकोच ,नियाज़ =परिचय}
बहुत मजेदार .
thank u gurmel ji
वाह वाह ! बहुत सुन्दर !
shukriya