गीतिका/ग़ज़ल अभिषेक जैन 02/12/2020 गजल बात का बढ़कर के बहस हो जाना और सभी लोगों को उसमें खो जाना आंख के अश्क मेहमान बनकर आते Read More
गीतिका/ग़ज़ल अभिषेक जैन 02/12/2020 गजल अरमा मचल मचलकर निकले हम लोकिन संभलकर निकले जाने पहचाने चेहरे देखो तो कितना रंग बदलकर निकले जहां में जिस Read More
गीतिका/ग़ज़ल अभिषेक जैन 02/12/2020 गजल तुम बदल गए मुझे छल गए देख मुझको अपनी राहें बदल गए तुम थे तो किस्मत थी साथ मे तुम Read More
लघुकथा अभिषेक जैन 26/11/2020 दुआ उसने बड़े प्यार से कहा बेटा मेरी मदद करोगे तो तुम्हें मैं ढेर सारी दुआ दूंगा बाबा अभी मेरे पास पैसे तो Read More
कविता अभिषेक जैन 22/11/2020 काविता अगर महसूस नहीं होती तुमको पीड़ा किसकी। देखकर आंसू किसी के नम नहीं होती हे तुम्हारी आंखें तो तुम इक Read More
कविता अभिषेक जैन 22/11/2020 कविता भरने में मुझमें कुछ रंग ऐसे मुझे जो तुम्हारी याद दिलाए भले देखकर उनको। कुछ देर को। आंख मेरी नम Read More
कविता अभिषेक जैन 19/11/2020 कविता किसी को बतलाए क्या खोया है हमने अपने अंदर खुद तन्हाई को बोया हे हमने अब तुम जैसे सच्चे मित्र Read More
लघुकथा अभिषेक जैन 18/11/2020 बहस आज फिर हो गई उससे मेरी तकरार मैं भी क्या करता वह मुझसे उस लहेजे बात कर रहा था उस तरह की Read More
क्षणिका अभिषेक जैन 18/11/202018/11/2020 क्षणिका मैंने सीख लिया गमो में भी कहकहे लगाना। क्योंकि रोते रहने से ग़म कम नहीं होते ! Read More
लघुकथा अभिषेक जैन 17/11/2020 लघुकथा – भूख बार बार एक प्रकार की बात कर रहा है जैसे कहीं से रटा मारकर आया हो और उसकी जुबां ओर Read More