लघुकथा – संदेह
कई दिनों से मुझे उस शक तो था क्योकि वो रोज छुपकर कुछ न कुछ करता रहता था. कभी किसी से
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Read Moreआज फिर उदास बैठ गया,बैसे वो कब न बैठता ऐसे इसमे कोई न ई बात ही नही था उसने अपना
Read Moreअभी से सपने देखने तुमने शुरु तो कर दिए पर कल तुमको हकीकत से भी सामना करना पडेगा तब मालूम
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