गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 26/12/2019 आलोक कौशिक की ग़ज़लें ग़ज़ल ज़िंदगी ने इस क़दर रूलाया है सारे ख्वाबों को हमने जलाया है ऐसा था हमारी बेबसी का आलम पतझड़ में Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 25/12/201925/12/2019 ग़ज़ल हर दिन होली और हर रात दिवाली है जब बिहारी की महबूबा होती नेपाली है ग़र यकीं ना आये तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 14/12/201914/12/2019 आलोक कौशिक की ग़ज़लें, रचनाकार ग़ज़ल वो जो कहते थे कि तुम ना मिले तो ज़हर मुझे पीना होगा खुश हैं वो कहीं और अब तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 10/12/201917/12/2019 ग़ज़ल तुम मुझे लगती बहुत ही प्यारी हो सच-सच बताओ क्या तुम बिहारी हो अब तो होने लगा है प्यार भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 24/05/2019 ग़ज़ल तक़दीर में केवल खुशियां कब आती हैं सच्चे प्यार में परेशानियां सब आती हैं छुपा ना रहे जब राज़ कोई Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 08/05/201908/05/2019 ग़ज़ल किसी की मोहब्बत में खुद को मिटाकर कभी हम भी देखेंगे अपना आशियां अपने हाथों से जलाकर कभी हम भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 09/04/201909/04/2019 ग़ज़ल *ग़ज़ल* जुबां से कहूं तभी समझोगे तुम इतने भी नादां तो नहीं होगे तुम अपना दिल देना चाहते हो मुझे Read More
कविता आलोक कौशिक 10/03/201910/03/2019 कविता *कवि हो तुम* गौर से देखा उसने मुझे और कहा लगता है कवि हो तुम नश्तर सी चुभती हैं तुम्हारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 06/03/2019 ग़ज़ल *ग़ज़ल* आज लौटकर मिलने मुझसे मेरा यार आया है शायद फिर से जीवन में उसके अंध्यार आया है बचकर रहना Read More
गीतिका/ग़ज़ल आलोक कौशिक 13/02/2019 ग़ज़ल बहुत हुई आवारगी अब तो संभल जाने दो निभाना है मुझे राष्ट्रधर्म मत रोको जाने दो अंधेरा बहुत गहरा है Read More