हतोत्साहित करने वालो की कमी नही!
इस जमाने की आधी से ज्यादा आबादी तो वैसे ही भेड़ चाल में जीने की आदी हो चुकी है, फिर
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Read Moreरुख हवाओ का मोड़ने, गुरुर आंधियो का तोड़ने निकला हूँ, धार कलम की तेज किये , मै देश बदलने निकला
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