तर्पण
उठो धृतराष्ट्र! दुर्योधन का तर्पण कर दो उसकी आँखें अब उसको अर्पण कर दो, वटवृक्ष की जड़ों-सी तुम्हारी महत्त्वकांक्षाएँ जिनकी
Read More“क्या हुआ माँ! आप फिर सुबह-सुबह शुरू हो गईं।” रिया बेडरूम से ज़ोर से चिल्लाई। “तुम सो जाओ। मैं प्रीति को
Read More