थप्पड़
भरे पूरे परिवार वाली अम्मा का जीवन वैसे तो खुशहाल था, पर बड़े बहू – बेटे के पराएपन ने
Read Moreहां! मुखर हो गई है,,, मेरी लेखनी लिखना नहीं चाहती… यह कविता! कैसे लिखे सुंदरता पर यह जब रोज मरे…
Read Moreबच्चे समझदार हो गए हैं… जब तक थे छोटे, थे हर बात पे लड़ते पल भर में खुश होते, थे
Read Moreधर्मनिरपेक्ष (कहानी में मुहावरों का प्रयोग) *नफरत की आग* से सारा शहर *धू-धू करके जल* रहा था और *गिरगिट की
Read Moreकौन है रचनाकार यहां, है कौन रचे… यहां कविता रचे है कवि… खुद कविता को या कविता करती है …खुद
Read Moreअपने चेहरे को मेकअप की परतों में छुपाते हुए, माधुरी ने खुद को आईने में देखा। सुंदर लग रही थी
Read More-1- जीते जी,,, सम्मान नहीं मरने पर श्राद्ध तर्पण कैसा घोटाला ? -2- अतृप्त मन स्नेह मृगतृष्णा, कैसे कर दूं,
Read Moreऔरतें बहुत चालाक होती हैं बड़ी ही सावधानी से, अपने चारों ओर इक वृत्त खींच लेती हैं ! … और
Read Moreसिखाया होगा किसी वक़्त उसने “बोलना” मुझको पर अब लगता …. उसको बोलना नहीं आता है। हां! मां को
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