नए एहसास …
छाने लगा फिर है, ख्वाहिशों का मौसम सरूर मुहब्बत का, सताने लगा है ! आलम क्या बताऊँ, दिल का मैं
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Read Moreनफरत की आग से सारा शहर धू-धू करके जल रहा था और विपक्ष एक जुट होकर सत्तारूढ़ पार्टी को पानी पी
Read Moreमुक्ता लगभग 25 वर्ष की थी और शहर के नामी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग में लेक्चरर थी l विभाग में
Read Moreहरफनमौला निर्मिति हर महफ़िल की जान हुआ करती थीं । शादी-ब्याह हो या कोई पार्टी, रौनक तो निर्मिति के
Read Moreनिर्मला ने अपनी पूरी जिंदगी दूसरों की सेवा में ही लगाई थी ! सबकी प्यारी और दुलारी निर्मला अम्मा की,
Read Moreकुशाग्र बुद्धि का विक्रम बचपन से ही हर किसी का चहेता था। वह हर कक्षा में प्रथम आता था ।
Read Moreबात उन दिनों की है जब मैं कालेज में पढ़ती थी ! हम आठ लोगों का एक बढ़िया सा ग्रुप
Read Moreदिन-रात की भागदौड़, व्यस्तता की मारधाड़ और अधिक से अधिक पा लेने की चाह में, लगता है रिश्ते कहीं खो
Read Moreलक्ष्मणरेखा “हद होती है बेशर्मी की ! कम से कम बच्चों की तो शर्म की होती !” विछिप्त सा सोहम
Read Moreबहुत ही संवेदनशील थी वो ! खून देखते ही उसे उबकाई आनी शुरु हो जाती थी ! आज उसके घर
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