रोटी पर क्षणिकाएं
रोटी अजब नज़ारा/ गरीब को… न वक्त पे रोटी/ अमीर को… न रोटी को वक्त अब बतलाओ … कौन बेचारा?
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Read Moreपार्टी की दुर्गति होते देख और जनता के बीच दुबारा से पकड़ बनाने के लिए चिन्तन जरूरी था। इसे “चिंतन
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