इश्क इश्क में ख़ुद को मिटाना पड़ता है
इश्क में ख़ुद को मिटाना पड़ता है सोच सोच के कदम बढाना पड़ता है मोहब्बत का मकां बनाने के लिए
Read Moreइश्क में ख़ुद को मिटाना पड़ता है सोच सोच के कदम बढाना पड़ता है मोहब्बत का मकां बनाने के लिए
Read Moreवक्त भी कैसे कैसे रंग दिखाता है कभी हंसाता है तो कभी रुलाता है फूलों की सेज मिलती है कभी
Read Moreचाटुकारों चापलूसों की बहुत चलती है यही बात तो दफ्तर की मुझे खलती है इन्हे आता है बस मक्खन लगाना
Read Moreइतना न लो इम्तिहान सब्र खो जाता है के मुझे कभी कभी रोना भी आता है खेल लगता है तुम्हे
Read Moreमेरे गीत श्रध्दा हैं, कविता आराधना मेरी मातृभाषा मेरी हिंदी, है सम्वेदना मेरी धडकती है हृदय मे और जिव्हा से
Read Moreऔर कितना कर गिरेगा ये आदमी गिरावट के चरम पर खड़ा ये आदमी दूसरों के दर्द मे बहुत मुस्कुराता है
Read Moreशहर और गाँव की गलियों मे मिल जाते हैं नौजवान सिगरेट का दुआं उड़ाते चरस अफीम गांजा, हो गए हैं
Read Moreहे राम! मुझे शक्ति दो मन मे नि:स्वार्थ भक्ति दो जीने की एक युक्ति दो झूठे बन्धनो से मुक्ति दो
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