जीवनचक्र
सदा होठ़ों पर मुस्कान सजी रहती थी छोड़ कर चली गई शायद मनचली थी। अल्हर बचपन करती थी अठखेलियाँ मिट
Read More“माँ मुझे नींद नहीं आ रही है । कोई कहानी सुनाइये ना ।” “अरे वाह ! मेरा लल्ला कहानी सुनना
Read Moreबुढ़े बीमार पति की आँखों में विछोह का दर्द देख कर वह सहम जाती थी । दिलोदिमाग पर चिंताओं का
Read Moreकुदरत ने दिये कुछ अनमोल घड़ियां घर में बंद सारी दुनिया ढ़ूंढने लगी पैरों के निशां । सीमित संसाधन हैं
Read Moreशिवानी ड्यूटी पर जाने से पहले अच्छी तरह अपने हाथों एवं पैरों को ढंक ली । चेहरे पर मास्क लगा
Read Moreवक्त के साथ बहुत कुछ फिर बदल जायेगा कड़ोड़ों खर्च कर गंगा निर्मल नहीं हुई बस पचास दिन में गंगा
Read Moreगंगा आरती की स्वरलहरी धाराओं को पार कर इस छोड़ से दुसरे छोड़ तक गूँज रही थी । जान्हवी देवनदी
Read Moreबृद्धाश्रम में महफिल जमी हुई थी । इधर उधर की बातें हो रही थी । उन सब में एक वसुधा
Read Moreजल थल नभ सब हुए विकल देख धरा पर हाहाकार अनदेखा भय भयभीत करे मानव अब मानव से ही डरे
Read Moreनवरात्रि माँ के लिये श्रद्धा सुमन :— हे जगतजननी माँ हे माँ तेरी मोहनी छवि निहारूं सुधबुध बिसरा कर तेरे
Read More