समाज ने छला राम को
मर्यादा के खातिर जिसने अपना घर कुर्बान किया राज्य हित के खातिर जिसने पति धर्म को त्याग दिया जो सीता
Read Moreमर्यादा के खातिर जिसने अपना घर कुर्बान किया राज्य हित के खातिर जिसने पति धर्म को त्याग दिया जो सीता
Read Moreनैतिकता का आधार सुनायी देता है जीते जी सब निष्काम दिखायी देता है जीवन का सारांश नहीं कुछ भी साहब
Read Moreकाल के विरुद्ध मैं हूँ मेरे विरुद्ध काल है हम दोनो को ही चलना है पर वो मेरे पीछे चल रहा है
Read Moreबहुत नाराज़ हैं अपने मनाऊँ मैं भला कैसे वो जो हालात बिगड़े हैं संवारुं मैं भला कैसे गरीब हालात थे
Read Moreसोचा ना था समझा ना था जाऊँ कहाँ मालूम ना था कांटे तो थे लाखों मगर एक फूल की भी
Read Moreअन्ना जी का अब राज नहींगांधी जी का समाज नहींलोगों की किस्मत फूट गयीये लोकतन्त्र आजाद नहीं दुनिया सायद तुमको
Read Moreमेरी पहली रचना उस पिता की है जिसको अपनी मर्ज़ी से शादी करने पर घर से निकाल दिया जाता है
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