परिणिति
पंडितजी ने दो माह पूर्व का शुभ मुहूर्त निकाला. इससे पहले कोई तिथि शुभ नही थी. किंतु सुहास को पंद्रह
Read Moreभैंस के बच्चे को लाकर हवेली के आंगन में बांधा गया था. अपनी माँ से बिछड़ा बच्चा जोर जोर से
Read Moreवंदना का आज का दिन भी अन्य दिनों की भांति आरंभ हुआ था किंतु खास था. आज उसकी तपस्या फलित
Read Moreपंडाल खचाखच भरा था. आचार्य जी भागवत कथा कह रहे थे. कथा के बीच में ज्ञान से भरी बातें भी
Read Moreराहुल बहुत परेशान था. यहाँ भी कोई बात नही बन पाई. कितने सपने लेकर मुंबई आया था. सोंचा था फिल्म
Read Moreउसने पिता से विरासत में मिले जमीन के उस टुकड़े को देखा. ऊबड़ खाबड़. पत्थर ही पत्थर भरे थे. पत्नी
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