लघुकथा

दया

जैसे ही गाड़ियां लाल बत्ती पर रुकीं शन्नो अपने बच्चे को गोद मे उठा कर भागी. वह कार के शीशो पर थपथपा कर भीख मांग रही थी. बाहर चिलचिलाती धूप थी. बच्चा भूख से बिलख रहा था. इस दृश्य ने कई लोगों के मन में दया पैदा की. जिसे जितना सही लगा उसे दे दिया. शाम तक इसी तरह भीख मांगने के बाद शाम को वह अपने डेरे पर लौटी. बच्चे को एक तरफ पटक कर वह दिन भर की कमाई का हिसाब लगाने लगी. बच्चा बहुत भूखा था और ज़ोर ज़ोर से रो रहा था.
“चुप हो जा कमबख़त सारी गिनती भुला दी.” शन्नो खीझ उठी. उसने आवाज़ लगाई “कहाँ मर गई कम्मो, इसे अफीम चटा दे. रात भर शांत रहेगा.”
अपनी बात कह कर वह फिर पैसे गिनने लगी.

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है