तुम्हारी निशानी
माँ तुम नहीं पर तुम्हारी निशानी मुझे सदा याद दिलाती रहेगी I मैंने संभाल सजा ली है किताबों में जब
Read Moreमाँ तुम नहीं पर तुम्हारी निशानी मुझे सदा याद दिलाती रहेगी I मैंने संभाल सजा ली है किताबों में जब
Read Moreमिटटी के चूल्हे पर हांड़ी चढ़ाना लकड़ी की आग पर खाना पकाना धुएँ से माँ की आँखों से आँसुओं का
Read Moreबंद खिड़कियाँ,दरवाजे परदे नींद में ऊंगते दीवाल पर टिकी मूर्ति तुम्हारी कैसे लाँघोगी देहरी दुर्गम राहें कठिनता हरदम चारों ओर
Read Moreस्त्री तू निर्बल क्यों ? क्यों जज्वा तेरा ? शून्य सा खामोश बिखरा-बिखरा मैदानों में I तेरी हथेली पर वही
Read More