छद्म (लघुकथा)
शहर के नेता नरेश भान ने शाम को अपने दोनों बेटों को बुलाकर कहा-” कल के बंद की अगुवाई करने
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Read Moreघर में पिछले दिन से न आटा था और न ही कुछ और था खाने के लिए । मुफलिसी के
Read Moreतूफान चलने लगा जो बाहर के बर्फीले तूफान से भी भयंकर था। वह कमला को छोड़कर नहीं जा सकता था
Read Moreअगस्त महीने का पहला सप्ताह बरसात अपने पूरे शबाब पर थी ।पहले रिमझिम रिमझिम फुहारें गिरने लगीं । फिर धीरे-धीरे
Read Moreडॉ जगदीश ने दाखिल किए मरीज को ड्रिप लगाया और कुछ हिदायतें नर्स को देकर अपने आफिस में जाकर कुर्सी
Read More“दस गज जमीन ही थी उसके परिवार की बर्बादी की सारी जड़…. । काश वह पहले सोच लेता और थोड़ा
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