कविता – समय से मुठभेड़
तुम चाहते हो कि हरेक आंगन तक गुनगुनी धूप पहुंचे ताकि कोई ठिठुरती सर्दी में न कंपकंपाये तुम चाहते हो
Read Moreतुम चाहते हो कि हरेक आंगन तक गुनगुनी धूप पहुंचे ताकि कोई ठिठुरती सर्दी में न कंपकंपाये तुम चाहते हो
Read Moreअनुपम छवि है जिसकी हर किरदार में माँ कहे जग इसको इस संसार में अपने लहू से पाल्के धरती पर
Read Moreतुम लिखो उनके खिलाफ अग्निगीत जिन्हें देश को गलियाँ बकने के बदले जनता की गाढ़ी कमाई की बरियानी खिलाई जाती
Read Moreस्कूल के वार्षिक समारोह से घर आते ही बच्चों ने इनाम में मिले अपने अपने स्मृति चिह्न माँ को दिखाने
Read Moreबारूद के ढेर पर बैठी दुनिया समझा कवि। नफरतें सब धुल जाएँ प्रेमगीत सुना कवि।। जंग की तैयारी में बन
Read Moreजहरीली हवा घुटती जिंदगानी दोस्तों। यही है नये दौर की कहानी दोस्तों।। पर्वतों पे देखो कितने बाँध बन गये। जवां
Read Moreसरकारी स्कूल दारपुर की हिन्दी टीचर नेहा का बेटा अभि शहर के नामी प्राइवेट स्कूल में पढ़ता था | उसकी
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