ग़ज़ल
अम्बार बमों के लगाने लगा है आदमी | डंका युद्ध का बजाने लगा है आदमी || तबाही के सिवा नहीं
Read Moreआँख से आँख मिलाना ग़ज़ल होती है | दिल में फूल खिलाना ग़ज़ल होती है || वो प्यार के रस्ते
Read Moreबुरे होते हैं , शब्दों के जाल , उलझ जाता है आदमी , फंस जाता है , मकड़ी की तरह
Read Moreजमाने को बताना मत वजह हसने व रोने की | अपनी हर हकीकत की अपने पाने व खोने की ||
Read Moreअँधेरी रात में भी भोर की आस रखना तुम | अँधेरा नित नहीं रहता यही विशवास रखना तुम || घृणा
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