ग़ज़ल : बताना मत
जमाने को बताना मत वजह हसने व रोने की | अपनी हर हकीकत की अपने पाने व खोने की ||
Read Moreजमाने को बताना मत वजह हसने व रोने की | अपनी हर हकीकत की अपने पाने व खोने की ||
Read Moreअँधेरी रात में भी भोर की आस रखना तुम | अँधेरा नित नहीं रहता यही विशवास रखना तुम || घृणा
Read Moreजहरीली हवा घुटती जिंदगानी दोस्तो यही है नये दौर की कहानी दोस्तो पर्वतों पे देखो कितने बाँध बन गये जवां
Read Moreकई गलतफहमियाँ दरकिनार करनी पडती हैं दुखों की घड़ियाँ साथ की सुई से टांकनी पड़ती हैं सरे राह गला पकड़
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