ग़ज़ल
इक दिन सूख जाएंगे ये हरियाते शजर यारों।उम्र भर कौन रहता है बहारों में बशर यारों ।। यह दुनिया है
Read Moreयूं तो मैं पहाड़ से था। हिमाचल के चंबा से । परंतु रोजगार के सिलसिले में रहता पठानकोट था। क्योंकि
Read Moreचंडीगढ़ के एक ओल्ड एज होम में मास्टर प्रभात को अपनी जिंदगी की शाम के यह अंधेरे गुमनाम दिन काटते
Read Moreमोहन अभी दस साल का ही था तो पिता का साया सिर से उठ गया। लाजो अभी जवान थी ।कोई
Read Moreअनुभव ने लाला मदन लाल को कहा-” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘।लाला का नौकर उसे जूते दिखाता गया और
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