ग़ज़ल
नहीं बदलते हैं सारे ही ख्वाब हकीकत में । वही होते हैं पूरे जो होते हैं किस्मत में ।। रंग
Read Moreकलम लड़ेगी तलवारों से और झोंपड़ दरबारों से । ठहरो , वक्त को आने तो दो फूल लड़ेंगे खारों से
Read Moreमन के बगीचे में जब जब भी मैं कविताएं लिखने जाता हूं सारे मौसम मेरे अगल-बगल मुझे कविताएं लिखते हुए
Read Moreरोज सुबह सूरज निकलता है हर शाम ढल जाता है आज फिर बीते कल में बदल जाता है । इसलिए
Read Moreचलो इस उतरती सांझ में पहाड़ की गोद में बैठ कर सिंदूरी धूप को शिखर चूमते हुए देखें । चलो
Read Moreअँधेरी रात में भी भोर की आस रखना तुम | अँधेरा नित नहीं रहता यही विशवास रखना तुम ||
Read Moreभूला नहीं वो धूप में झोंका बयार का तेरी हसीं जवानी वो लम्हा प्यार का खिलते हुए वो फूल ,मंजर
Read Moreनिर्दयी भूख अभी सुबह हो ही रही थी. सूर्य की लालिमा धरती तक नहीं पहुंची थी. मैं किसी जरुरी कार्य
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