पिछड़ता गांव या शहर(कविता)
ऊंची इमारतों से निकलता धुआँ, पीले पड़े तमाम शाखों के पत्ते, ये ही तो शहर है , जहाँ हर चीज़
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Read Moreसब अपने*मन की बात* करें,मैं अपनी बात बताता हूँ, कल रात दिखा एक स्वप्न मुझे,मैं तुमको आज सुनाता हूँ, एक
Read Moreएक बार की बात सुनो,जंगल में पड़ा अकाल, भूख प्यास से तड़पे सारे,हाल हुआ बेहाल, एक- एक कर ,सूखे सारे
Read Moreदादा जी को खांसी छूटी, दादी मां की आंखे फूटी, लौकी ,तोरी में इंजेक्शन, करते बाॅडी में इंफेक्शन, साईकिल नहीं
Read Moreनाच रहे थे खुशी में सारे, रिमझिम बारिश बरस रही, पर जाने क्यूं,एक कोने में, बैठी चिड़िया सुबक रही, पूछा
Read Moreकलम में कैद रहते है,तो दम घुटता है लफ्ज़ो का, रिहा होकर बाहर निकले ,तो खुल कर सांस लेते है,
Read Moreपाँच साल की हुई जो सिमरन, दादा बोले चल, नाम लिखा आता हूं स्कूल में पढ लिख कर बनो सफल,
Read Moreएक बार पार्टी थी घर में, लड्डू आए बड़े बड़े, खाते खाते दो लड्डू थाली मे से निकल पड़े, मां
Read Moreचुनमुन चुनमुन चल स्कूल, झाड़ किताबो की अब धूल, छुट्टी मे इतना खेले कि पढ़ना लिखना गए सब भूल खत्म
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