श्रम
कब तक पूर्वज के श्रम सीकर पर यूँ मौज मनाओगे। आज बीज श्रम का रोपोगे तब कल फल को पाओगे।
Read Moreकल तक माता के आँचल में, बैठ सभी सुख पाते थे । भूखे नंगे लावारिस भी, जीवन जीने आते थे
Read Moreचमन के फूल हम सारे, हमारा देश न्यारा है | हमारी भूमि में शामिल, परम इतिहास प्यारा है || हिमालय
Read Moreसाहित्य सिर्फ समाज का दर्पण ही नहीं होता बल्कि समाज को परिष्कृत कर नई दिशा भी सुझाता है….दिखाता है…..पहला कदम
Read Moreभारत बहुआयामी विविधता का सामासिक संगम है | तकरीबन 171 भाषाओं और 544 बोलियों के साथ 125 करोड़ आबादी वाला
Read Moreबदल गया यह लल्ला प्रियतम की यादों में खोया, बोलो नहीं निकम्मा l रूप – पाश में बँधकर भूला, भाई,
Read Moreसामाजिक ताने बाने की गाड़ी दो पहियों से बनी हुई है – एक नारी और दूसरा पुरुष। आदि काल से
Read Moreसाथी वह जो हर सुख -दुख में, हरदम साथ निभाये l सही- गलत को जाँच परख़कर, सच्ची राह दिखाये ll
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