हम
मत कहो अंधेरा है जग में, कहने से कब उजियार हुआ।इक दीप जला जब जब भू पर, जगमग जगमग संसार
Read Moreसामाजिक, पारिवारिक एवं सांस्कृतिक सतत अनैच्छिक अवमूल्यन के दौर में ‘राम ही आधार’ पर मन एवं मनोरथ दोनों अटक जाते
Read More“बीज में वृक्ष के सारे गुण हैं छुपे, जानने के लिए थोड़ा मन चाहिए। देखना हो अगर कुदरती खेल तो,
Read Moreमैं विश्वनाथ का नंदी हूँ, दे दो मेरा अधिकार मुझे। वापी में हैं मेरे बाबा, कर दो सम्मुख-साकार मुझे।। अब
Read Moreपरिवर्तन का जोश भरा था, कुर्बानी के तेवर में। उसने केवल कीमत देखी, मंगलसूत्री जेवर में।। हम खुशनसीब हैं कि
Read Moreओ माई गॉड, पी के, आदिपुरुष के बाद अब ओ माई गॉड-2 आने वाली है। कुछ लोग मनोरंजन करेंगे, कुछ
Read Moreअंतराल चाहे जहाँ भी हो, दिखता तो है ही। चाहे यह एक ही परिवार में दो पीढ़ियों के बीच ही
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