तुम्हारा चले जाना…..
सोच रहा मन अकेलेपन की तन्हाईयों में कल और आज में कितना फर्क है कल तक जो मुहब्बत का दम
Read Moreसोच रहा मन अकेलेपन की तन्हाईयों में कल और आज में कितना फर्क है कल तक जो मुहब्बत का दम
Read Moreन जाने क्यों?? आजकल अकेलापन भाने लगा है शायद ! इसकी वजह हो तुम वक्त के गुमसुम चेहरे पर अधखुली
Read Moreतुम्हारी मुहब्बत में…… एक किताब सी हो गई हूं मैं हर कोई देखकर चेहरा मेरा पढ़ लेता है हाले-दिल व्या…..
Read Moreसच कहूं तो ! श्रृंगार के नाम पर मुझे चुरी, सिंदूर, बिंदी के सिवा कुछ और भाता नहीं नहीं कर
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