कविता *बबली सिन्हा 08/09/2017 स्वप्न एक स्वप्न अंतहीन मृगतृष्णा की जीवन से परे की दुनिया रौशनी का नामोनिशां नहीं चहुंओर, वर्चस्व है अँधेरे का…. भागना Read More
कविता *बबली सिन्हा 07/09/2017 छलावा….. जीवन ! एक छलावे से ज्यादा और कुछ नहीं सच्चाई तो मौत में है जो सबको एक न एक दिन Read More
कविता *बबली सिन्हा 05/09/2017 हादसा…. ये शहर बन गया है हादसों का….. और लोगों के जान की कीमत दो कौड़ी की कभी सड़कों पर दौड़ती Read More
कविता *बबली सिन्हा 21/08/2017 प्रेम…. सुनो ! समझो ना होने लगा है प्यार तुमसे गहराता जा रहा दिनों दिन हर एक लम्हा प्यार का रिश्ता Read More
कविता *बबली सिन्हा 19/08/2017 प्यार…. कुछ तो हो रहा दिल में एहसास ऐसा जैसे हुआ था पहली मुहब्बत का पर तुम मेरा प्यार नहीं फिर Read More
कविता *बबली सिन्हा 18/08/2017 रिश्ते….. माँ बाप मरते हैं.. तो, सिर्फ वे ही नहीं मरते; उनके साथ-साथ , कई रिश्तों की भी मौत हो जाती Read More
कविता *बबली सिन्हा 18/08/2017 मुहब्बत….. कोशिशें तो बहुत की हमने तुमसे दूर चले जाने की पर इसकदर तुम्हारी चाहत में मजबूर हुए चाहकर भी दुरी Read More
कविता *बबली सिन्हा 11/08/2017 ताला…. क्या मैं ज़िंदा हूँ ! मन में आता है यही ख्याल बार-बार क्या सांसों का चलना दिल का धड़कना ही Read More
कविता *बबली सिन्हा 10/08/2017 हादसे….. जिंदगी के कुछ हादसे,,, जिंदगी से ! जिंदगी छीन लेते हैं बस ! रोता रह जाता इंसान,,, सर झुकाए बदहवास Read More
कविता *बबली सिन्हा 05/08/2017 दर्द…. अंतर्मन के कोने में न जाने कितनी ही दर्द भरी सिसकियाँ सुबकती है खामोशी से बचपन से लेकर ढ़लती उम्र Read More