गीत/नवगीत बलविन्दर ‘बालम’ 15/03/202415/03/2024 गीत प्रतिभा-प्रतिष्ठा में प्राण। जाग उठा है हिन्दुस्तान। ममता क्षमता समता प्रबल। जैसे बहता निर्झर निर्मल। स्वतंत्र-गणतंत्र की Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 08/03/202408/03/2024 गीतिका सौंदर्य का प्रभुत्व प्यारा। जग से न्यारा देश हमारा। अभिवादन करता अरूणोदय। दरिया पर्वतों में ज्ञानोदय। धरती नो अतिरूप सँवारा। Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 08/03/202408/03/2024 ग़ज़ल बिन वजह मुखड़े से मुखड़ा मोड़ कर। आदमी टूटे है रिश्ते तोड़ कर। प्यार को फिर जोड़ने में हर्ज क्या, Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 08/03/202408/03/2024 गीतिका जैसे फूलों वाली क्यारी। हिन्दू नारी सबसे न्यारी। सृष्टि सृजन सरस्वती है, वैष्णवी रौद्री माहेश्वरी है। प्राण प्रिय और दर्शनकारी। Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 06/03/202406/03/2024 ग़ज़ल मुंह से कुछ ना बोल ज़माना ठीक नहीं। दुनियां देगी रोल ज़माना ठीक नहीं। तेरी सच्चाई इल्लज़ाम में बदलेंगे, Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 05/03/202405/03/2024 ग़ज़ल घर-घर में है बात पहुंचाई बालम की। सच्च कहने पर शामत आई बालम की। तितली के पंखों को किसने Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 04/03/202429/02/2024 ग़ज़ल जाति-पाति अहम की सब जंज़ीरें तोडेंगे बच्चे। म्यानों में बंद पंड़ी शमशीरें तोड़ेंगे बच्चे। परिश्रम विद्या उद्यम शक्ति संयम अंतर्दृष्टि Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 03/03/202428/02/2024 ग़ज़ल प्रतिभा के बंजारे बच्चे। सूरज चांद सितारे बच्चे। खेवनहारे की कृपा है, चप्पु नहर किनारे बच्चे। विद्या परिश्रम मंज़िल, देवे, Read More
गीतिका/ग़ज़ल बलविन्दर ‘बालम’ 02/03/202402/03/2024 गज़ल़ रौशन रौशन प्यार मिले हरियाणा में। सूरज के इकरार मिले हरियाणा में। मन्दिर, चर्च, गुरूद्वारे मस्ज़िद मठ-द्वारे, जन्नत के दीदार Read More
कविता बलविन्दर ‘बालम’ 27/02/202427/02/2024 माँ जन्नत की परिभाषा मा जन्नत की परिभाषा। माँ पीढी की अभिलाषा। माँ मन्दिर में जैसे ज्योति। माँ समता से भरी गोदी। Read More