ग़ज़ल
दास्ताँ दर्दे दिल की सुनाते रहे। वो हमें देख कर मुस्कराते रहे। टूट करके बिखरने से क्या फायदा। ये गलत
Read Moreमुक्तक जन्नत है यहीं पर उनके पाँवों में मिलता है सुकून इनकी पनाहों मैं हर बला जिसके दम से टल
Read Moreमुक्तक दिलबर तिरे बगैर मैं जी नहीं सकता ज़हर जुदाई का और पी नहीं सकता ज़िन्दगी की चादर भी इतनी
Read Moreमुक्तक सच में ऊबे हम इन यारानों से लोग अब पलटने लगे ज़बानों से रिश्ते मतलब से यहाँ बनाते हैं
Read Moreमुक्तक मेरे ख़तों का आज जवाब आया है बीते हुए पलों का हिसाब आया
Read Moreमुक्तक जीवन में तो प्यार जरुरी होता है ! आँखों से व्यापार
Read Moreआप सभी के समक्ष एक नयी रचना जिसका शीर्षक है “जोगीरा सा रा रा रा”आप सब का प्यार मिले इसी
Read Moreइंसान इंसानियत को भुल जाता है क्यो छोटा होकर ये खुद बड़ा बताता है क्यो !! ख़ुद अपने जिन्दगी मे
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