मुक्तक (बेख़बर देहलवी)
मुक्तक
दिलबर तिरे बगैर मैं जी नहीं सकता
ज़हर जुदाई का और पी नहीं सकता
ज़िन्दगी की चादर भी इतनी फट चली
बिना तेरे साथ इसे सी नहीं सकता !!
बेख़बर देहलवी
मुक्तक
दिलबर तिरे बगैर मैं जी नहीं सकता
ज़हर जुदाई का और पी नहीं सकता
ज़िन्दगी की चादर भी इतनी फट चली
बिना तेरे साथ इसे सी नहीं सकता !!
बेख़बर देहलवी