भा रही रजाई
शीत बढ़ी भा रही रजाई।मौसम ने अब ली अँगड़ाई।। शी – शी करतीं दादी नानी।नहीं सुहाता शीतल पानी।।दिन में धूप
Read Moreशीत बढ़ी भा रही रजाई।मौसम ने अब ली अँगड़ाई।। शी – शी करतीं दादी नानी।नहीं सुहाता शीतल पानी।।दिन में धूप
Read Moreसुबह हो गई है।मोबाइल जाग गए हैं।रात में जो स्वप्न आ रहे थे,वे सब भाग गए हैं।रसोइयों में बर्तनों की
Read Moreवे दिन नहीं लौट कर आतेजो बचपन में बीते। सर्दी गर्मी नहीं सताएसावन भादों बरसे।रहे प्रफुल्लित बचपन खिलताहरसे हरसे हरसे।।हृदय
Read Moreसब कुछ बदल रहा क्षण-क्षण में।प्रभु का वास यहाँ कण-कण में।। शांति नहीं मानव को प्यारी,जुटा हुआ पल – पल
Read Moreयों तो निकालाजा सकता हैकिसी काँटे से काँटा भी,पर वे मानते हैंउनका जन्म हीहुआ मात्र चुभने के लिए। उलझना और
Read Moreबढ़ती ठंड अलाव जलाएँ।तापें आग हर्ष हम पाएँ।। दादी माँ को शीत सताए।ठिठुर – ठिठुर कम्बल में जाए।।गरमी का कुछ
Read Moreगूगल गुरु से जब ये पूछा गया कि ‘लुटेरा’ शब्द का विलोम क्या है? इस प्रश्न के उत्तर के लिए
Read Moreआदमी को आदमी की खोज जारी। देह तो सबकी लगे वे आदमी हैंआदमी थे वे सभी कल आज भी हैंआदमी
Read Moreदिनांक :02 दिसम्बर 2024 को अमेज़िंग वर्ल्ड पब्लिक स्कूल सिरसागंज में डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्’ द्वारा लिखित पुस्तक ‘शुभम् बालगीत
Read More