जनता आज्ञाकारी?
छत – छत पर फहराते झंडे, जनता आज्ञाकारी ? एक बार आदेश हो गया, चादर तानी सोया! लगा राष्ट्र ध्वज
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Read Moreयदि मैं कोई वानर होता। पेड़ों पर मेरा घर होता।। उछल – कूद मैं करता दिन भर, भीग मेह में
Read Moreहिंदी एक संस्कृति है। भारतीयता के संस्कार का नाम हिंदी है। कालांतर में उसने एक बोली, भाषा और साहित्य के
Read Moreबोली, भाषा, लेखनी,जननी का वरदान। हिंदी से ही हम बने, हिंदी मम पहचान।। लिखना, पढ़ना, बोलना,हिंदी अपनी एक, हिंदी गौरव
Read Moreजन गण मन को हरा बनाती, हिंदी की हरियाली। माँ ने माँ की भाषा ने नित, हमको पाठ पढ़ाया, लोरी
Read Moreआलय -आलय रिक्त पड़े हैं, सिसक रहा ईमान। दूकानें बाजार माँगते, ला- ला धर जा पैसा, अधिकारी ऑफिस के बाबू,
Read Moreगुरु ने हमको ज्ञान कराया। भीतर का तम दूर भगाया।। हम सब गुरुओं के आभारी। उनकी हम पर सदा उधारी।।
Read Moreजिसने गुरुजन का मान किया। शुभता का सत – संधान किया।। मानव की पहली गुरु जननी, जननी को कभी न
Read Moreघड़ी हमारा आभूषण है, शृंगार है।इसके बिना नर- नारी का जीना दुश्वार है।इसीलिए गाँवों की नई दुल्हिनें उसे झाड़ू -पोंछा
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