हिंदी की हरियाली
जन गण मन को हरा बनाती, हिंदी की हरियाली। माँ ने माँ की भाषा ने नित, हमको पाठ पढ़ाया, लोरी
Read Moreजन गण मन को हरा बनाती, हिंदी की हरियाली। माँ ने माँ की भाषा ने नित, हमको पाठ पढ़ाया, लोरी
Read Moreआलय -आलय रिक्त पड़े हैं, सिसक रहा ईमान। दूकानें बाजार माँगते, ला- ला धर जा पैसा, अधिकारी ऑफिस के बाबू,
Read Moreगुरु ने हमको ज्ञान कराया। भीतर का तम दूर भगाया।। हम सब गुरुओं के आभारी। उनकी हम पर सदा उधारी।।
Read Moreजिसने गुरुजन का मान किया। शुभता का सत – संधान किया।। मानव की पहली गुरु जननी, जननी को कभी न
Read Moreघड़ी हमारा आभूषण है, शृंगार है।इसके बिना नर- नारी का जीना दुश्वार है।इसीलिए गाँवों की नई दुल्हिनें उसे झाड़ू -पोंछा
Read Moreजिसकी पूँछ उठाई जाती, निकल रहा है मादा। अवसर जिसको मिले ‘सुनहरा’, क्यों करनी में छोड़े, राम नाम की ओढ़
Read Moreलहराया मैं आसमान में, मानव बहक गया। मेरी छाया में सौगंधें, खाकर करता वादे, मुँह में राम बगल में छूरी,
Read Moreआगरा – जलेसर मार्ग से पूर्व दिशा में टेढ़ी बगिया से चार किलोमीटर दूर स्थित मेरे छोटे – से गाँव
Read Moreअरसे भर के बाद गया था, जन्म लिया जिस गाँव गाँवों में अब गाँव नहीं है। धुआँ उगलती हुई चिमनियाँ
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