बालकविता – गागर की गरिमा
गर्मी में गागर की गरिमा। कौन न जाने उसकी महिमा। शीतल जल सबको है देती। प्यास देह की वह हर
Read Moreगर्मी में गागर की गरिमा। कौन न जाने उसकी महिमा। शीतल जल सबको है देती। प्यास देह की वह हर
Read Moreवासंतिक नवरात्र का, ‘शुभम’ सुहृद उपहार। दुर्गा माँ को पूजता, हर हिंदू परिवार।। जगदंबा नव रूप में, करतीं जन –
Read Moreहेंचू जी हय से सतराये। आँख दिखाते वे गुर्राए।। ‘घोड़ा जी तुम गर्दभवंशी। एक सदृश हम सब के अंशी। हमसे
Read Moreअतीत की बात हो गई ,जब लोग अपने से ज्ञान, गुण और आयु में बड़े, गुरुजन, माता -पिता , इष्ट
Read Moreहम सब अपने को इंसान कहते हैं।पशु -पक्षियों, कीड़े-मकोड़ों से भी बहुत महान। इस धरती माता की शान।ज्ञान औऱ गुणों
Read Moreआज विश्व में बंधु-भाव का, पतन दिखाई देता है। अपने तक सीमित है मानव, बनता विश्व – विजेता है।। अपना
Read Moreसाहित्य मानव – चरित्र का जीवंत इतिहास है ,तो इतिहास मानव -चरित्र का मुर्दा साहित्य है।’महाभारत’ में भी कहा भी
Read Moreजल से कल है जीव का,जल ही जीवन मीत जल की रक्षा हम करें,समय न जाए बीत।। जल- दोहन दूषण
Read Moreअरे ! छोड़िए भी ‘शादी’ कभी ‘सादी’ हो ही नहीं सकती।’शादी’ के नाम पर कुछ भी प्रदर्शन करने की मनमानी
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