गीतिका
मानव – उर को प्यार चाहिए। हरा – भरा संसार चाहिए।। स्वर के बिना नहीं है वाणी, व्यंजन को स्वर
Read Moreझोली भर -भर रंग की,आया फागुन मास। सुमनों पर भौंरे उड़े,लेकर मधु की आस।। कोकिल कूके बाग में,विरहिन के उर
Read Moreसूरज के हिस्से दिन आया। निशि-अँधियारा शशि ने पाया। सूरज देता तेज उजाला। चमकाता चंदा तम काला।। संग उषा के
Read Moreआज हम सभी ‘खूँटा- युग’ में साँस ले रहे हैं। प्रत्येक किसी न किसी खूँटे से बँधा हुआ है।जैसे रसायन
Read Moreसज गई हैं दुकानें ,बाजार गर्म है।बिकेगी उसी की सौदा, जिसका जैसा भी कर्म है।तो देवियो!सज्जनो!बहनो! औऱ भाइयो ! ;
Read Moreग्राम्यांचल में वहाँ के स्थानीय विवाद निपटाने के लिए किसी मौजे की एक ग्राम -पंचायत होती है।एक मौजे में एक
Read Moreआँखों – आँखों का ये खेल निराला है। निज अंतर का मंत्र तंत्र में डाला है।। देखा पहली बार नहीं
Read Moreबड़ी पुरानी राम – कहानी। नगर अयोध्या सीता रानी।। पिता राम के दशरथ राजा। बजता धीर- वीर का बाजा।। कौशल्या
Read Moreगरम पराँठा बथुए वाला। जाड़े में दे स्वाद निराला।। गहरा हरा संग में धनिया। खाती अम्मा खाती चनिया।। मिर्च चटपटी
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