Author: *डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

बाल कविता

हुक्का,गुटका,चिलम, तँबाकू

हुक्का,गुटका,चिलम, तँबाकू।नर- जीवन के हैं सब डाकू।। हुक्के में जो धुँआ उड़ाता।नश्तर तन में स्वयं चुभाता।। सट-सट धुँआ चिलम से

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गीतिका/ग़ज़ल

दोहा गीतिका – कहता है मैं चाँद हूँ

जिया अर्थ-उन्माद में, खोया जीवन-मोल।अहंकार भीषण बढ़ा,चक्षु ज्ञान के खोल।। अपनों से ही शत्रुता,अपनों से ही बैर,लौट वहीं पर आ

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