खटिया
बाबा जी की टूटी खटिया।चूँ -चूँ चर – मर करती खटिया।। बाबा जी जब लेटें उस पर,डग – मग पूरी
Read Moreरीझ गया है कोकिल का मन।देख लिया कुसुमाकर – दर्पन।। कुहू – कुहू की टेर लगाती।विरहिन के उर पीर जगाती।।बहती
Read Moreबंदर जैसे स्वाद, अदरक का जाने नहीं।ज्ञान न उसको नाद , जो बहरा है कान से।।रखे घूमता नित्य, ज्ञान –
Read Moreढपोरशंख की खोज बहुत पहले हो गई थी। इसलिए आज उसके इतिहास में जाने की आवश्यकता नहीं है।इतना अवश्य है
Read Moreपीली – पीली सरसों फूलीनाच रहे हैं खेत। फूल बसंती महक रहे हैंलगा रही पिक टेर।कब आओगे मोहन प्यारेकरो न
Read Moreसुदृढ़ता का नाम किला है।जगती पर वह हमें मिला है।। कभी मोम – सी कोमलता भी,तूफानों में नहीं हिला है।
Read Moreछाछ बिलोती मेरी अम्मा।करे मथानी धम्मक – धम्मा।। सूरज ने निज आँखें खोली।कुक्कड़ कूँ की सुनते बोली।।गूँज उठी ध्वनि रुनझुन
Read Moreनर-नारी सुख दुःखमय,विविध रूप संसार।राम सदा रक्षा करें, बरसे प्रेम अपार।। पुरी अयोध्या धाम में,बरसे भक्ति – पीयूष,सरयू की कल-कल
Read Moreभक्त के उर में रहते रामझाँक ले हृदय-भीतर। सोना चाँदी में यदि होतेपाते धनिक अमीर।कथरी ओढ़े पा लेते हैंउनको संत
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