Author: *डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

गीतिका/ग़ज़ल

दोहा-गीतिका – रामनीति ही चाहिए

नर-नारी सुख दुःखमय,विविध रूप संसार।राम सदा रक्षा करें, बरसे प्रेम अपार।। पुरी अयोध्या धाम में,बरसे भक्ति – पीयूष,सरयू की कल-कल

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गीत/नवगीत

खनकें चूड़ीं बारम्बार

घरनी की दोमृदुल कलाईखनकें चूड़ी बारम्बार। पग में पायलकमर करधनीहाथों में संगीत उभार।कहती हैं क्याहरी चूड़ियाँखोलो साजन बन्द किवार।। समझें

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