दोहा गीतिका – बौरा गए रसाल
होली तो हो ली सखे,फूले किंशुक लाल। पाटल महके झूमकर,बौरा गए रसाल।। कोकिल कूके बाग में, कुहू-कुहू की टेर, चोली
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Read Moreआओ खेलें नेता – नेता। बनकर कुर्सी – वीर विजेता।। चिकनी- चुपड़ी बातें करके। नोट कमाएँ कमरे भरके।। नेता बस
Read Moreकट,कॉपी और पेस्ट आज के कंप्यूटर युग के लिए नए नहीं हैं। जो लोग कंप्यूटर और मोबाइल चलाने का अल्प
Read More-1- रँग लाल गुलाल उड़े ब्रज में, डफ ढोल धमाधम बाजत वादन। चुनरी पट ओढ़ि चली तरुणी, चलती पिचकारिहु धार
Read Moreलोकतंत्र मनमानी जीमें बड़हार। अब तक हैं फहराए झंडे छत कार।। संविधान सिर माथे पाई है रसीद। वक्त पड़े काम
Read Moreचादर में सोया है मटमैला गाँव। सोहर से आई है शैशव की चाँव।। अगियाने सुलगाए बैठे हैं लोग। सेज सजी
Read Moreधड़ल्ले से कवियों के सम्मेलन हो रहे हैं और बराबर होते भी रहेंगे।कवि हैं,तो उनके सम्मेलन तो होंगे ही।ये अखिल
Read Moreसबको भाया एक खिलौना। चाचा, चाची, मौनी , मौना।। सुघर खिलौना ऐसा आया। सबके मन को अति ही भाया लंबा
Read Moreनिंदक औऱ निंदा समाज के आवश्यक तत्त्व हैं। इनके बिना समाज में गति नहीं आती। इसीलिए महात्मा कबीरदास ने सैकड़ों
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