गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/11/202414/11/2024 0 Comments ग़ज़ल मेरे जिस्म में तू बन के जान रहता हैमिलूँ किसी से भी तेरा ध्यान रहता है मेरे वजूद में शामिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/11/202406/11/2024 ग़ज़ल चाँदनी खुद में सिमटती जाएगीरात रफ्ता-रफ्ता ढलती जाएगी गर्मी-ए-एहसास की लौ तो दिखारिश्तों पे जमी बर्फ गलती जाएगी मोम के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/10/202403/10/2024 ग़ज़ल हसरत-ए-दिल-ए-बेकरार कहां तक जातीदश्त-ए-तनहाई के उस पार कहां तक जाती मैं ज़मीं पर था तुम कोहसार-ए-गुरूरां पर थेगरीब की ख्वाहिश-ए-दीदार Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 01/10/202401/10/2024 ग़ज़ल लबों पे आह है आँखों में पानीमुहब्बत दे गई कुछ तो निशानी संभाला था दिल को मुश्किलों सेतुमने फिर छेड़ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/09/202417/09/2024 ग़ज़ल इक तो अब हो गई पुरानी भीहमको आती नहीं सुनानी भी तुम अपने गम से भी नहीं खालीहै अधूरी मेरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/09/202413/09/2024 ग़ज़ल ज़ख्मी जब भी ईमान होता हैसब्र का इम्तिहान होता है सच का साथी नहीं यहां कोईमुखालिफ ये जहान होता है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/08/202424/08/2024 ग़ज़ल अपने कौन, बेगाने कौनकिस्से कहे पुराने कौन सबको चाहत है खुशियों कीगम से करे याराने कौन खुद से ही हम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 11/07/202411/07/2024 ग़ज़ल हर खुशी को संभाल रखा हैफिक्र को कल पे टाल रखा है तेरी नज़रों की हैं करामातेंखाक मुझमें कमाल रखा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 08/07/202408/07/2024 ग़ज़ल खामोश आँखों की ज़ुबां से आई हैबेचैन दिल के दरमियां से आई है इश्क की रानाई कहते हैं जिसेअपनी अधूरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 01/07/202401/07/2024 ग़ज़ल किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैपैगाम ए इश्क फैलाए उसे इंसान कहते है किसी के दुख और Read More