गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/08/2016 ग़ज़ल मैं तुमको देखता हूँ तो ज़माना भूल जाता हूँ, मज़ा ये है कि तुमको ही बताना भूल जाता हूँ शिकायत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/08/2016 ग़ज़ल तेरी जुदाई आज फिर अश्कों में ढल गई, होते ही शाम यादों की इक शमा जल गई माना था बड़ी Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 15/08/201616/08/2016 गीत : गाता गान तिरंगे का कोई नहीं दुनिया में सानी, मेरी जान तिरंगे का, मैं दीवाना गली गली में, गाता गान तिरंगे का हमलावरों से खेलीं हमने, कितनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/08/2016 ग़ज़ल कोशिश कर भी लो आदत खानदानी नहीं जाती, चोर चोरी से जाए पर बेईमानी नहीं जाती खज़ाने खत्म हुए सारे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/08/201610/08/2016 ग़ज़ल धड़कनों से इश्क का पैगाम लिख दिया, हमने ज़िंदगी को तेरे नाम लिख दिया मुस्कुराए तुम तो लगा धूप खिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 05/08/2016 ग़ज़ल रस्म-ए-उल्फत को इस तरह निभाया मैंने, सुना जो नाम तेरा सर को झुकाया मैंने लहू-लहू था बदन चाक गिरेबां था Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 27/07/2016 ग़ज़ल किसी की बात को हम-तुम कहां और कब समझते हैं, पर अपने काम की होती है तो हम सब समझते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 25/07/2016 ग़ज़ल मेरी बेचैनी ज़ुबां पा गई तो क्या होगा, दिल की बात लब पे आ गई तो क्या होगा मैंने आँसू Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/07/2016 ग़ज़ल अपने हालात से बेखबर आदमी, ना चैन पाए कहीं बेसबर आदमी और पैसे कमाने का लालच लिए, गांव से आ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 20/07/2016 ग़ज़ल ज़ख्म पुराने भरने में कुछ वक्त तो लगता है, दोबारा भरोसा करने में कुछ वक्त तो लगता है इक चिंगारी Read More