आत्मसम्मान
अस्पताल में अफ़रा तफ़री मच गई एक्सिडेंट में बहुत बुरी तरह ज़ख़्मी कोई पेशन्ट आया था। दीप्ति ने देखा वो
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Read Moreदेखो कहीं दरख़्त ना बन जाए दूरियाँ, मिलते रहो यक ब यक की कहीं अन्जान न बन जाए एक दूसरे
Read Moreइक्कीसवीं सदी की पढ़ी लिखी तेज़ तर्रार लड़की रिया आसमान में उड़ रही थी जैसा सोच रखा था वैसा ही
Read Moreमहिला सशक्तिकरण ये शब्द ही अपने आप में खोखला नहीं लगता? स्त्रीयों को निर्बल लाचार अबला समझने वाले एक बार नौ
Read More“ओ रज्जो पता लगा लिया किस किसके घर ताज़ा डिलीवरी हुई। किसके घर बेटा हुआ है रे ? चल आज
Read Moreअगर तेरह चौदह साल की बच्ची को माहवारी शुरू होने से पहले ही सारी समझ दी जाएं तो अचानक से
Read Moreरेत के चमकीले एक कण में पूरी दुनिया का प्रतिबिम्ब देखने के लिए और एक जंगली फूल में इत्र की
Read Moreसंपूर्णता, सुंदरता और कामुकता सिर्फ़ पत्रिकाओं में छपी तस्वीर मात्र है “मैं सच्ची, सही और हल्की सी सुंदर स्त्री हूँ” कोई
Read Moreसूखे पतझड़ सी पीली पड़ गई मेरी ज़िंदगी के कैनवास पर नीले पीले सुनहरे गाढ़े रंगो की टशर भरना तुम्हारा
Read Moreएसा नहीं की संवेदना नहीं है इंसान में उन्माद के अतिरेक में जबरदस्ती छटपटाती पड़ी है दिल की संदूक में.!
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