प्रशंसा किसे नहीं भाती
झूठी-साँची चाय हो, भाय प्रशंसा ख़ूब । जाके फेर में परकें,
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Read Moreबढ़ना खुद से कठिन डगर है, हाँ सच में आसां न सफ़र है । कुदरत तमलीन हुई देखो, सब मगन
Read Moreलो चले दूर हो सब कहाँ ? ज़रा संभलो घड़ी है विकट विरल हुआ जहां । ———— वो घड़ी थी
Read Moreज्यों ही गाड़ी से उतरी, पाँव ज़मीन पर धरते ही देखा, गाड़ी के एकदम आगे स्याह श्यामल रंग का एक
Read More‘अम्मा न तुमने इत बार दीये दादा बनाए, और न तोई तैयाली कल लई हो दुकान सजाने की।’ 7 वर्ष
Read Moreरमन का लंच के समय अचानक ही आज फोन आ गया और एकदम सकपकाते हुए बोले – कई दिन हो गए,
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