गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – बढ़ना खुद से कठिन डगर है

बढ़ना खुद से कठिन डगर है,
हाँ सच में आसां न सफ़र है ।
कुदरत तमलीन हुई देखो,
सब मगन किसी को न फ़िकर है ।
क्या सच हम इतने बदल गए !
कि हमें अपनी ही न खबर है ।
अब जो मिलकर सब न चले तो,
होगा फिर हर तरफ़ क़हर है ।
मिलन कहे झाँक ज़रा मन में,
जग की तेरी तरफ़ नज़र है ।
— भावना अरोड़ा ‘मिलन’

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

अध्यापिका,लेखिका एवं विचारक निवास- कालकाजी, नई दिल्ली प्रकाशन - * १७ साँझा संग्रह (विविध समाज सुधारक विषय ) * १ एकल पुस्तक काव्य संग्रह ( रोशनी ) २ लघुकथा संग्रह (प्रकाशनाधीन ) भारत के दिल्ली, एम॰पी,॰ उ॰प्र०,पश्चिम बंगाल, आदि कई राज्यों से समाचार पत्रों एवं मेगजिन में समसामयिक लेखों का प्रकाशन जारी ।