गीतिका
नटवर नागर पुनः सुना दो,मीठी मुरली तान।अधरों पर फिर लगे तैरने,प्यारी सी मुस्कान।।1 जीवन समर जीतना मुश्किल,चिंतित दिखता पार्थ,एक बार
Read More“साहित्य में समाज प्रतिबिंबित होता है। तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप ही किसी काल के साहित्य
Read Moreउमड़ा दिल में प्यार,बता तो दे।छोड़ दिया घर द्वार,बता तो दे।1 सुंदर है रँग- रूप ,सुहानी है,कैसा है व्यवहार ,बता
Read Moreगीतिका लिखता रहूँ नित काव्य नूतन प्यार दे माँ शारदे।मम लेखनी को भाव का उपहार दे माँ शारदे।।1 भावुक नहीं
Read More(संविधान दिवस पर)मैं भारत का संविधान हूँ , अपनी व्यथा सुनाता हूँ।क्या- क्या मेरे सँग होता है,सारी बात बताता हूँ।कसमें
Read Moreआधार छंद-गंगोदक212 212 212 212,212 212 212 212 आपका नेह मुझको सदा माँ मिले,सोचकर भाव यों गुनगुनाता रहूँ।मैं हमेशा रहूँ
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