Author: डॉ. बिपिन पाण्डेय

गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

गीतिका

नटवर नागर पुनः सुना दो,मीठी मुरली तान।अधरों पर फिर लगे तैरने,प्यारी सी मुस्कान।।1 जीवन समर जीतना मुश्किल,चिंतित दिखता पार्थ,एक बार

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गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

गीतिका

व्यक्त करें आभार,ज़िंदगी में।मिले जीत या हार,ज़िंदगी में।। थोड़ी रखना लाज,ज़माने से,जब हों आँखें चार,जिंदगी में। करो कमाई खूब,बनाना मत,रिश्तों

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भाषा-साहित्यलेख

साहित्य और सामाजिक सरोकार

“साहित्य में समाज प्रतिबिंबित होता है। तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप ही किसी काल के साहित्य

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